गैस्म —एक शिक्षा क्रांति
हमें
हमारे देश में
शिक्षा-क्रांति
लानी है
गाँव-गाँव,
कसबा-शहर
ज्ञान-ज्योत
जलानी है.
अस्त्र
नहीं, सशस्त्र नहीं
यह सशब्द
क्रांति है
न विद्रोह,
न विघटन
न भ्रंश, न
भ्रांति है;
राष्ट्र-आत्मा
की यह
‘आवाज़’ तो
केवल
सृजन-संयम-शांति
है.
हमें
हमारे देश में
शिक्षा-क्रान्ति
लानी है
गाँव-गाँव,
कसबा-शहर
राष्ट्र-चेतना
जगानी है.
कलम ‘क्रान्ति’
का शस्त्र है.
सत्य,
सौन्दर्य और सुरुचि
का कर दे जो
प्रतिपालन;
कला,
चित्रकला, चलचित्रकला
इस
क्रांति के अमोघ अस्त्र हैं.
नहीं हुये
हैं जो शून्य
कर्मठ, क्रिया-शक्ति
से
समाज-चेतना
जिनकी
रग-रग में
दौड़ती है,
लेखक हो
या पाठक
साधु हो
या साधक
शिक्षक हो
या शिक्षार्थी,
कलाकार हो
या ‘कलार्थी’
सकल समाज
के वे सच्चे
प्रणेता
हैं और प्रहरी हैं;
मर्म जानते
हैं जो मानवीयता का
वो ही
सच्चे ‘शिक्षा-क्रांतिकारी’ हैं.
हमें
हमारे देश में
कर्मठ-कलम-क्रांति
लानी है
गाँव-गाँव,
कसबा-शहर
राष्ट्र-चेतना
जगानी है.
—सत्यन
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