स्वच्छताग्रह
शिक्षा-क्रांति पिछले दस वर्षों से भारतीय शिक्षा प्रणाली को मूल्योंपरक बनाने के लिए प्रयासरत है |
विज़न : शिक्षा-क्रांति का यह विज़न है कि भारत देश मूल्यों आधारित देश बनें | स्वच्छता हमारे भारत देश में राष्ट्र-मूल्य के रूप में प्रतिष्ठित हो | स्वच्छता को (विशाल दायरे में रख कर) हमारे संविधान में उसी प्रकार मौलिक मूल्य के रूप में सम्मिलित किया जाए , जिस प्रकार हमारे संविधान में मौलिक कर्तव्य और मौलिक अधिकार हैं | स्वच्छता को देश के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक संस्थानों में सर्वोच्च प्राथमिकता मिलें |
मिशन : शिक्षा-क्रांति अपने 'स्वच्छताग्रह' प्रोजेक्ट के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों से सोलन शहर में निरंतर साप्ताहिक/मासिक सफाई अभियान करती आ रही है, जिसके तहत नागरिकों को सफाई के प्रति जागरुक किया जा रहा है | स्वच्छता को राष्ट्र मूल्य बनाने हेतु मेस हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है | शिक्षा क्रांति 'स्वच्छताग्रह' हस्ताक्षर अभियान को 'स्वच्छ भारत अभियान' के साथ को-ओर्डिनेट कर स्वच्छता को राष्ट्र-मूल्य बनाने के लिए सभी लोकतांत्रिक संस्थानों से हस्ताक्षर सहयोग ले रही है |
"हम सब प्रत्येक, पेड़ लगायें एक" जो कि 'स्वच्छताग्रह' प्रोजेक्ट की सब थीम है के तहत प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया जा रहा है | जिसके अंतर्गत सोलन डिस्ट्रिक्ट के 250 उच्च एवं वरिष्ट माध्यमिक पाठशालाओं में कार्यरत इको-क्लब, एन एस एस के साथ कार्य किया जा रहा है |
शिक्षा-क्रांति
(Global
Education Sensitization Mission)
सामाजिक संस्था ‘शिक्षा क्रांति’ (गैस्म) आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा के
योगदान को सुनिश्चित करने के लिए कृतसंकल्प है |
संस्था ने भारतीय वर्तमान शिक्षा-प्रणाली को रचनाधर्मी और मूल्यों-परक बनाने के
उदेश्य से, पिछले एक दशक में दो रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम किया है | पहले
प्रोजेक्ट “The Culture of Creative Communication Skills” एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत
हिमाचल प्रदेश के लगभग 300 सरकारी वरिष्ट
माध्यमिक स्कूलों में (2010-15) सर्वे किये गए, जिनमें से 27 स्कूलों में यह
प्रोजेक्ट नियमित रूप से लौंच किया गया l स्कूलों में communication skills पर
workshops आयोजित किये गये l शिक्षकों और शिक्षार्थियों में परोक्ष एवं अपरोक्ष
सर्वे किये गए l अधिकतर शिक्षकों और विद्यार्थियों
को उनके समाज और पर्यावरण के प्रति कर्तव्यों को लेकर उदासीन पाया गया l शिक्षकों
में दायित्व-बोध को लुप्त और सामाजिक-चेतना का क्षरण होते पाया गया l शिक्षा की
गुणवता में भारी गिरावट देखी गई l शोध के विषय-वस्तु की सत्यता को हर प्रकार से जांचा
और परखा गया l
शिक्षा-शोध में पाया गया कि : शिक्षकों में सामाजिक चेतना को जागृत करने के
लिए, छात्रों में नैतिक मूल्यों के विकास के लिए, उनकी बौधिक क्षमता को बढ़ाने के
लिए, उनमें उनकी मौलिक सोच को विकसित करने के लिए, उनमें समाज के अस्तित्व का बोध
कराने के लिए, उनकी पर्यावरणीय ज्ञान वृधी के लिए; कम्युनिकेशन स्किल ही सर्वोत्तम
औजार है l
कम्युनिकेशन स्किल को केवल अंग्रेजी भाषा से न जोड़ कर, इसे विशाल दायरे में
रखा गया l भाषा को साधन माना गया, साध्य नहीं l कम्युनिकेशन स्किल सभी स्किल्स —सॉफ्ट और
हार्ड स्किल्स— की जननी है l अतः शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि शिक्षा में गुणवता
लाने के लिए छात्रों में अभिव्यक्ति की कला को बढ़ावा देना अनिवार्य है l यदि हम
हमारे शिक्षा-तंत्र को कौशल-परक बनाते हैं, तो हमारे छात्र जहाँ एक ओर ‘लेख और
वाणी में प्रवीण, तर्क में कुशल और व्यवहार में चतुर’ बनेंगें; वहीं दूसरी ओर वे समाज
और प्रकृति के अस्तित्व का सम्मान करना भी सीख जायेंगें l
दूसरे प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक विश्व-स्तरीय बहुभाषीय Literary &
Education पत्रिका का प्रकाशन किया गया, जिसे देश ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने तक
पाठकों के सत्परामर्श हेतु भेजा गया l इस पत्रिका के चार संस्करण भी केवल एक
पायलट-प्रोजेक्ट के आधार पर निकाले गए l प्रयोग सफल रहा, दुनिया के विभिन्न भागों
से लगभग 400 सूधी पाठकों के पॉजिटिव फीडबेक मिलें l शोध से यह बात सामने आई कि इस
तरह का प्रकाशन (साहित्य और शिक्षा) न केवल समाज, प्रकृति और देश सेवा का उत्तम
साधन है, बल्कि यह हमारी शिक्षा-व्यवस्था को रचनाधर्मी बनाने में एक मील का पत्थर
साबित हो सकता है l यह शिक्षकों को एक रचनात्मक मंच प्रदान कर, विद्यार्थियों में
पढ़ने-लिखने का जज्बा पैदा कर, उनकी मौलिक सोच को सशक्त कर सकता है l संक्षेप में,
एक राष्ट्रीय व्यापी शैक्षणिक-मंच शिक्षा में गुणवता के सामूहिक लक्ष्य को सामूहिक
प्रयासों से हासिल करने में मदद कर सकता है l
आगामी, संस्था अपने पहले प्रोजेक्ट के तहत communication skill को हमारी शिक्षा
के पाठ्यक्रमों का एक regular feature बनाने के लिए प्रयासरत है l दूसरे प्रोजेक्ट
के तहत पत्रिका का पुनः प्रकाशन कर, इसको भारत के लगभग 38,000 colleges और 600
universities के पुस्तकालयों में स्थान दिलाना संस्था की सर्वोपरी प्राथमिकता है l
शिक्षा-क्रांति शिक्षा को उसकी पारम्पारिक सीमाओं से परे समाज सेवा के व्यापक दायरे में रख कर देखती है | अतः संस्था अपने प्रकृति और समाज सेवा के विचारों को यथार्थ में
ढालने के लिए "स्वच्छताग्रह" के माध्यम से पिछले कई वर्षों से स्थानीय स्तर पर कार्यरत है | संस्था के
स्वयंसेवी लगभग पांच वर्षों से स्थानीय नागरिकों, छात्र और छात्राओं के साथ प्रति
सप्ताह सोलन शहर में सफाई अभियान करती आ रही है | संस्था के कुछ स्वयं सेवी
प्रतिदिन सफाई करते है | संस्था के सफाई अभियान स्वच्छताग्रह (एक रुपया दान, स्वच्छता अभियान) में बड़ी संख्या में नागरिक तन-मन-धन से सहयोग दे रहे हैं | इस अभियान
में स्थानीय लोगों का साथ मिल रहा है; वे श्रम-दान कर रहें है, धन-दान दे रहें हैं
l
स्वच्छता एक जीवन मूल्य है | हमारा समाज स्वच्छ हो, भ्रष्टाचार मुक्त हो;
हमारा पर्यावरण साफ़ हो, प्रदूषण रहित हो; इसके लिए यह जरूरी है कि हम स्वच्छता के
मूल्य को हमारे शैक्षणिक संस्थानों का अभिन्न अंग बनाएँ | सभी शैक्षणिक संस्थान जीवन-मूल्यों
की पुनर्स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ | इस दिशा में आगे बढ़ते हुए शिक्षा-क्रांति
संस्था ने स्थानीय शिक्षा-संस्थानों में दान-पात्र (एक रूपया दान, स्वच्छता
अभियान, शिक्षा-उत्थान) स्थापित किये है, जिसके तहत संस्थानों के सम्बंधित प्रशासन
और शिक्षकों से आग्रह किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों में सामाजिक और पर्यावरणीय
मूल्यों का विकास करने के लिए, उन्हें तन-मन-धन से स्वच्छ रहने को अवश्य प्रेरित
करें |
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