GESM-11
23.7.2015
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री जी
हिमाचल प्रदेश l
मैं एक सामाजिक संस्था
शिक्षा-क्रांति (Global Education Sensitization Society) सोलन में कार्यरत
स्वयंसेवी हूँ l शिक्षा में गुणवता लाने के उद्देश्य से, हमारी संस्था ने पिछले एक
दशक से दो प्रोजेक्टों पर शोध कार्य किया है l पहले प्रोजेक्ट के अंतर्गत शिक्षकों
को एक रचनात्मक मंच मुहिया करवाने व उनमें लुप्त होते दायित्व-बोध को जागृत करने के
उदेश्य से एक शैक्षणिक एवं साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन किया गया और दूसरे
प्रोजेक्ट के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों से हि.प्र के कई सरकारी व. मा. स्कूलों में विद्यार्थियों को (कम्युनिकेशन
स्किल्स के माध्यम से) समाज और प्रकृति की सेवा के गुर सिखाए गयें l
पहले प्रोज़ेक्ट में पत्रिका
के चार संस्करण, एक के बाद एक, सरकार और शिक्षा-विभाग के लिए विचारार्थ निकाले गए
l प्रकाशन इस आशा के साथ किया गया कि यह पत्रिका देश और प्रदेश के सभी शैक्षणिक
संस्थानों की लाइब्रेरीयों में केवल जगह ही न पायें, बल्कि इन सभी संस्थानों में
कार्यरत शिक्षकों के साथ मिलकर यह शिक्षा-उत्थान का एक सामूहिक लक्ष्य भी
निर्धारित करें l पत्रिका को सुधी पाठकों के सत्परामर्श के लिए दुनिया के कोने-२
तक भेजा गया l बावजूद इसके कि देश-विदेश
से सब्स्क्रिप्शन सहित अनेकों सकारात्मक फीडबैक मिलें, संस्था ने प्रकाशन रोक दिया
l पहला कारण, सम्बंधित शैक्षणिक विभाग और सरकार का अब तक कोई सहयोग नहीं मिला है l
दूसरा कारण, क्योंकि प्रकाशन को लेकर संस्था का उद्देश्य विशुद्ध सामाजिक रहा है,
इसलिए इसे हमारे सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों में स्थान दिलाये बगैर कमर्शियल
लाईन पर आगे ले जाना तो बेमानी ही है l
माननीय मुख्यमंत्री जी,
संस्था द्वारा एक दशक में शिक्षा के क्षेत्र में किये गए शोध से यह बात सामने आई
है कि भाषा शिक्षा में गुणवता लाने का एक सर्वोत्तम औज़ार है l यदि हम स्कूलों में
कम्युनिकेशन-स्किल टीचिंग को पाठ्यक्रम का एक नियमित विषय बनाएं, तो यह शिक्षा में
गुणवत्ता लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा l भाषा की अनदेखी होने से
सरकारी स्कूलों से बच्चों का तेज़ी से पलायन हो रहा है l
अतः हमारे शिक्षण संस्थानों
में भाषाओं (हिंदी और इंगलिश) की संप्रेषण और साहित्यिक स्तर पर मौलिक लेखन और
पाठन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, हम हमारी संस्था द्वारा प्रकाशित पत्रिका के
पुनर्प्रकाशन के लिए सरकारी संरक्षण चाहते हैं, अतः जिसके लिए हि. प्र. के सभी स्कूलों (Elementary to Higher), कॉलेजों
और युनिवर्सिटीयों की लाईब्रेरियों में सब्सक्रिप्शन हेतु शिक्षा-मंत्रालय के recomendation
letter की दरकार है l
मैं, बतौर स्वयंसेवी, 12 वर्षों से सोलन शहर में विद्यार्थियों को इसी स्किल्स के माध्यम से समाज और
प्रकृति की सेवा के गुर सिखा रहा हूँ l अब मैं अपने ज्ञान को व्यवहारिकता की कसौटी पर कसना चाहता हूँ; मैं समाज और
प्रकृति की सेवा केवल अपने दिल और दिमाग से ही नहीं, अपितु अपने हाथों से भी करना
चाहता हूँ l मैं मेरे शहर सोलन को साफ़ और स्वच्छ बनाने के
लिए एक सफाई कर्मचारी की नौकरी करना चाहता हूँ l इसके लिए मैंने संस्था के सैंकड़ों स्वयंसेवकों के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों
में सफाई करने में दक्षता हासिल कर ली है l हम अपने ‘स्वच्छताग्रह’ अभियान के तहत,
सोलन की गली-गली में सफाई करने के बाद, निरंतर लोगों से स्वच्छ रहने का आग्रह करते
आ रहें हैं l
महोदय जी, हमारी संस्थागत
मांग यह है कि हमारी संस्था द्वारा चलाया जा रहा ‘स्वच्छताग्रह अभियान’ (जो कि
सरकार द्वारा चलाये जा रहे ‘स्वच्छ भारत मिशन’ से लगभग २-३ साल पहले शुरू हुआ) में
स्थानीय प्रशासन का यथासंभव सहयोग मिले l गंदगी फ़ैलाने वालों के खिलाफ कड़े क़ानून
बने और उनका सख्ती से पालन हो l
सोलन शहर में सार्वजनिक
सफाई की व्यवस्था को तब तक दुरुस्त नहीं किया जा सकता, जब तक स्थानीय प्रशासन इस
दिशा में मुस्तैद न हो l सफाई कर्मचारियों की कमी के चलते, यहाँ नियमित सफाई नहीं
हो पा रही है, जिससे पर्यावरण दूषित होता जा रहा है l गौरतलब है कि सोलन शहर का
जैसे-जैसे विस्तार हुआ है, वैसे–वैसे यहाँ नगर परिषद में सफाई-कर्मचारियों की
संख्या बढ़ने की बजाय कम ही हुई है l आंकड़े बताते हैं कि जब शहर की आबादी लगभग 20
हजार थी (सत्तर के दशक में), तो नगर परिषद में सफाई-कर्मचारियों की संख्या 120 थी
l आज जब शहर की आबादी 60 हजार के पार हो चुकी है, तो नगर परिषद में
सफाई-कर्मचारियों की संख्या 90 हैं l
अतः आप से निवेदन है कि शहर
में सफाई कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए कोई कदम जल्दी उठायें, और मेरी
सफाई करने के लंबे अनुभव और निपुणता के आधार पर, मुझे मेरे शहर में सफाई-कर्मचारी
की नौकरी हेतु विचाराधीन किया जाए l आशा करतें हैं कि आप शिक्षा-उत्थान हेतु पत्रिका
के प्रकाशन को बहाल करने में सरकारी संरक्षण का भी शीघ्रातिशीघ्र संज्ञान लेंगें l
धन्यवाद
आपका आभारी
सत्यन, अध्यक्ष
शिक्षा-क्रांति, (Global
Education Sensitization Society) c/o Satyan
School of Languages, Kotlanala, Solan-173212. HP, India,
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