सेवा में, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन (हि. प्र) । महोदय जी, हम सोलन शहर में वालंटियर सफाई कर्मचारी हैं । हम प्रतिदिन सोलन को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए, कहीं सफाई करते हैं, कहीं लोगों से स्वच्छ रहने का आग्रह करते हैं । इसी स्वच्छताग्रह के चलते, हम आपके परिसर में विगत वर्षों में कई सफाई अभियान कर चुकें हैं । हर बार गंदगी का आलम जस का तस देखने को मिलता है। समझ में नहीं आता कि किस कलम से एक चिकित्सा अधिकारी को गंदगी फैलने से होने वाले खतरों के बारे में लिखें । कृप्या अपने कार्यलय के धरातल के इर्द-गिर्द नियमित तौर पर सफाई व्यवस्था का प्रावधान करें । अस्पताल के चारों ओर गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त जुर्माना हो ऐसी व्यवस्था अवश्य करें । धन्यवाद ।
Thursday, 24 September 2015
Tuesday, 22 September 2015
चलते रहना ।
चलते रहना ।
सेवा-पथ पर चलते रहना
तूफ़ान आए, आंधी आए
पगडण्डी हो, पहाड़ आए
पीछे कभी मुड़ न जाना l
तूफ़ान आए, आंधी आए
पगडण्डी हो, पहाड़ आए
पीछे कभी मुड़ न जाना l
आलोचक को ध्यान से सुनना
निंदक की परवाह न करना
आलोचक होगा प्रेरक-प्रशंसक
निंदक केवल संशय-वर्धक ।
निंदक की परवाह न करना
आलोचक होगा प्रेरक-प्रशंसक
निंदक केवल संशय-वर्धक ।
निंदक सेवा-पथ पर क्या चलेगा
केवल शब्दों में ही कसीदे कसेगा
अपने मस्तिष्क-चिंता के वमन से
समाज को अधिक दूषित करेगा ।
दुनियां के दुःख और दर्द को
समझने की खूब आहें भरेगा
पूछोगे अगर साथ चलने को,
केवल शब्दों में ही कसीदे कसेगा
अपने मस्तिष्क-चिंता के वमन से
समाज को अधिक दूषित करेगा ।
दुनियां के दुःख और दर्द को
समझने की खूब आहें भरेगा
पूछोगे अगर साथ चलने को,
ulta पीछे hi हट जाएगा l
एक आलोचक शुभ चिंतक होगा
अपने चिंतन में, अपने शब्दों में
अवश्य ही साथ चलेगा l
अपने चिंतन में, अपने शब्दों में
अवश्य ही साथ चलेगा l
एक आलोचक ढूध का ढूध,
पानी का पानी करने वाला
नीर-क्षीर-विवेक हंस होता है l
कब हमसे गलतियाँ हो सकती है
कैसे हमसे गलतियाँ हो सकती हैं
वह दिन-रात हमें आगाह करता है ।
कब हमसे गलतियाँ हो सकती है
कैसे हमसे गलतियाँ हो सकती हैं
वह दिन-रात हमें आगाह करता है ।
एक निंदक गलतियाँ हो जाने पर
खूब काँव-काँव करता है
ढूध फट जाने पर, जब छेना बन जाता है
दूध का दूध, पानी का पानी
करने वाला एक कौआ ही कहलाता है ।
खूब काँव-काँव करता है
ढूध फट जाने पर, जब छेना बन जाता है
दूध का दूध, पानी का पानी
करने वाला एक कौआ ही कहलाता है ।
सेवा-पथ पर चलते रहना
तूफ़ान आए, आंधी आए
पगडण्डी हो, पहाड़ आए
पीछे कभी मुड़ न जाना l
तूफ़ान आए, आंधी आए
पगडण्डी हो, पहाड़ आए
पीछे कभी मुड़ न जाना l
—सत्यन
Subscribe to:
Posts (Atom)